Sunday, 20 September 2015

शादी के बाद चूत की प्यास

मित्रो, आप सभी को प्रणाम.. मैं राकेश.. वापी (गुजरात) का रहने वाला हूँ। मैं एक सीधा सादा 31 वर्ष का आदमी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनियर हूँ।
यह बात 4 साल पहले की है.. जब मेरी सगाई हुई थी और मैं बिल्कुल कुंवारा था। अपने दोस्तों में मैं केवल ऐसा लड़का था.. जिसकी गर्लफ्रेंड नहीं थी.. लेकिन मैं एक हँसमुख स्वभाव का हूँ।
जब मेरी सगाई की बात मेरे ऑफिस में पता चली.. तो सभी ने मुझे शुभकामनाएं और बधाइयाँ दीं.. जिसमें मेरी कहानी की हीरोइन भी है। उस वक़्त उससे पहली बार बात हुई.. वो मेरी होने वाली वाइफ के बारे में पूछ रही थी कि कहाँ की है.. क्या करती है?
हम दोनों ने करीब 15 मिनट तक बात की.. आख़िर में जाते-जाते उसने मुझसे पार्टी माँगी.. तो मैंने हँसकर कहा- पहले गाँव तो बसने दो.. फिर लूटने आना..
इस पर वो हँसते हुए बोली- ठीक है.. अपनी बात याद रखना..
वो चली गई।
मुझे कुछ समझ ही नहीं आया.. खैर.. मैंने कभी भी उस पर ध्यान नहीं दिया।
मैं बाद में उसकी माँग को भी भूल गया।
अगले महीने मेरी शादी हो गई, मैंने जीवन में पहली बार सेक्स किया.. वो भी अपनी पत्नी के साथ.. वो अनुभव फिर कभी लिखूंगा।
और हम दोनों बहुत प्यार से रहने लगे। इस तरह 2 महीने गुजर गए.. हमारे घर की प्रथा के अनुसार मेरी पत्नी का मायके जाने का वक़्त आ गया। वो गई लेकिन मेरी रात की खुशी ले गई।
अब मुझे समझ में आया कि मेरे दोस्त अपनी-अपनी गर्लफ्रेंड के पीछे क्यों भागते थे।
मेरा दिन तो जैसे-तैसे गुजर जाता था.. पर रात काटने को दौड़ती थी। तीन-चार दिन तो फोन सेक्स से काम चलाया.. पर उससे तो और मूड खराब हो जाता था।
मुझे अब चूत चाहिए थी.. अब हर लड़की मुझे मेरी पत्नी नजर आने लगी थी। बस में… रोड पर.. आसपास सभी जगह.. ऑफिस में भी.. हर औरत और लड़की मुझे एक चूत की जुगाड़ के जैसे दिखने लगी थी।
एक दिन ऑफिस में मेरे पास काम कम था.. तो अपनी पत्नी के साथ गुज़रे हसीन पलों को याद कर रहा था कि तभी मेरी कहानी की हीरोइन आई और बोली- कहाँ खोए हुए हो??
मैं अचानक वर्तमान में आया और बोला- बस.. वाइफ की याद आ रही है..
यह कहते हुए मैंने स्माइल दी.. तब उसने भी स्माइल देते हुए कहा- अभी तो तुम अकेले हो.. फ्री हो.. तो अपनी पार्टी दे दो.. वैसे भी मैं तुम्हारी शादी में नहीं आ पाई थी।
दोस्तो, अब यहाँ बताना ज़रूरी है कि उसका नाम शमाँ.. उम्र 32.. फिगर 34-26-38 के आसपास होगा.. जिस पर अभी-अभी ध्यान गया.. उसका रंग दूध सा गोरा.. शादी नहीं हुई.. पर जैसा सुनने में आया है.. कि खेली-खाई है.. पर ऑफिस के बाहर.. उसके चक्कर में 3 लोगों को ऑफिस से बाहर किया जा चुका है.. इसलिए उसे ऑफिस में कोई लाइन नहीं मारता है।
मैं उसके साथ जाने को.. इसलिए राज़ी हुआ.. क्योंकि मुझे चूत चाहिए थी.. चाहे जो हो जाए..
हमने ऑफिस के बाद में एक रेस्टोरेंट में मिलने का प्लान बनाया। हम दोनों ऑफिस से अपनी-अपनी गाड़ी पर अलग-अलग निकले और आधे रास्ते में मिल गए। थोड़ी दूर चलने पर अचानक बारिश शुरू हो गई.. या यूँ कहें दोस्तों.. कि कुदरत मेहरबान हो गई।
शमाँ ने कहा- पास ही मेरा कमरा है.. मैं अकेली रहती हूँ।
यह मुझे भी मालूम था.. मैं मन ही मन खुश हुआ और वो शायद मेरा चेहरा भांप गई।
उसने कहा- डोमिनोज से पिज़्ज़ा ऑर्डर कर देते हैं और थम्स-अप मेरे पास रखी हैं।
उसके कमरे तक पहुँच कर उसने मुझे तौलिया दिया और उसी तौलिया से खुद भी अपने शरीर को पोंछा। मेरा ध्यान उसके मम्मों पर टिक गया.. उसका सूट गीला होने के कारण उसके मम्मे अपने पूरे आकार में दिखाई दे रहे थे।
यहाँ से मेरा मन मचल गया..
तभी शमाँ बोली- तुम बैठो.. मैं कपड़े बदल कर आती हूँ..
वो कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई। थोड़ी देर बाद जब वो स्लीवलैस टी-शर्ट और लोवर में अपने पूरे शबाब में आई.. तो मेरा लण्ड सलामी देने के लिए खड़ा हो गया।
फिर उसने मुझे कपड़े देते हुए कहा- तुम भी चेंज कर लो..
मैं बाथरूम गया और अपने कपड़े खोले और खूँटी पर कपड़े टाँगने लगा.. तभी मेरी नज़र उसकी ब्रा-पैन्टी पर गई, मैंने उन्हें छूकर देखा.. तो पैन्टी गीली थी.. मतलब अभी उतरी थी.. लेकिन मैंने उसे कपड़े बदलने के लिए कोई ब्रा-पैन्टी ले जाते हुए नहीं देखा था..
इसका मतलब था कि अभी उसने टी-शर्ट के अन्दर कुछ नहीं पहना था।
शमाँ को नंगी देखने की तमन्ना मेरे मन में उठ खड़ी हुई.. मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार कर उसके द्वारा दिए हुए टी-शर्ट और पजामा को पहन लिया।
अब मैं अपने मन और लण्ड को कंट्रोल करते हुए बाहर आ गया।
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए स्माइल दी और कहा- खूब जंच रहे हो..
मैंने बोला- आपके कपड़ों का ही असर है।
इस पर वो हँस दी.. उसने खिड़कियां बंद कर दीं। मैंने ऑर्डर दिया और उसके साथ सोफे पर हीटर के सामने बैठा..
वो मेरे पास होते हुए भी दूर थी.. तभी मैंने सोचा कि उसको कैसे मालूम हो कि मैं भी अन्दर से नंगा हूँ।
तब मैंने उससे कहा- तुम्हारे पास डंडा है?
इस पर वो प्रश्नवचक नज़रों से देखने लगी.. मैं बोला- मेरे सारे कपड़े गीले हैं यहाँ हीटर में सुखा देता हूँ।
वो बोली- नहीं हैं.. पर यहीं डाल दो..
मैंने अपने कपड़े फिर वहीं फैला दिए..
वो चौंकते हुए पूछने लगी- ये क्या.. तुमने भी अन्दर कुछ नहीं पहना है?
मैं बोला- ‘भी’.. का मतलब?
इस पर वो झेंप गई.. और नजरें झुका लीं.. बाहर बारिश तेज़ हो रही थी और ठंडी हवाएं चल रही थीं।
मैं उसके पास बैठा था.. बोला- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेण्ड है?
वो बोली- तुम्हें क्या लगता है??
मैं चुप रहा..
वो बोली- तीन थे.. अभी एक भी नहीं है।
मैं बोला- अभी के लिए मुझे ही मान लो..
वो हँस दी और चाय बनाने रसोई में चली गई। जब चाय बना कर देने आई तो उसने झुक कर अपने प्यारे मम्मों को भी दिखाया।
मेरे अन्दर चूत की प्यास बढ़ गई थी। चाय पीने के बाद हम फिर साथ में बैठ गए.. मैंने बातों-बातों में अपना पैर उसके पैर से सटा दिया।
थोड़ी देर यूँ ही रहा.. उसने भी अपना पैर नहीं हटाया।
मैंने फिर यूँ ही पूछा- अकेले रहती हो.. तो बोर नहीं होती?
शमाँ- होती हूँ.. पर अब आदत हो गई है।
मैं- तुमने शादी क्यों नहीं की? तुम तो बहुत स्मार्ट हो.. तुम्हें तो कोई भी मिल सकता है।
शमाँ- मैं अपनी मर्ज़ी की जिंदगी जीना चाहती हूँ।
तभी अचानक डोर-बेल बजी.. पिज़्ज़ा आ गया था.. हमने पिज़्ज़ा और थंप्स-अप ख़त्म किया ही था.. कि लाइट चली ग।
शमाँ- यह तो होना ही था.. बारिश हो रही है.. मैं मोमबत्ती जलाती हूँ..
यह कह कर वो उठी.. लेकिन टेबल के कॉर्नर से टकरा कर सीधे मेरे ऊपर गिरी.. उसको पकड़ने के चक्कर में उसका एक दूध मेरे हाथ में आ गया और उसका हाथ मेरे लण्ड पर था।
मैं ऐसा ही रहा.. लेकिन मेरा सोया हुआ लण्ड जाग गया.. उसने अपने हाथों से ये महसूस किया.. मैंने मौका देख कर उसका दूध दबा दिया.. वो उठने लगी लेकिन मैंने बाएं हाथ को उसकी कमर में डाल कर उसे पूरी तरह अपने ऊपर ले लिया और तुरंत होंठों से होंठों मिलाकर चुम्बन करने लगा।
वो मुझसे दूर होते हुए बोली- राकेश.. यह क्या कर रहे हो..?? मैं तुम्हें सीधा समझती थी।
मैं- क्या करूँ.. शादी के बाद बिगड़ गया हूँ.. अब मुझे समझ आया कि जवानी मज़े लेने के लिए है।
वो हँस पड़ी.. मैं उसे फिर से किस करने लगा।
अब वो भी साथ देने लगी.. धीरे से अपना हाथ उसके टॉप में अन्दर डाला।
शमाँ- नहीं राकेश.. मैं तुम्हें अपना बदन नहीं दिखाना चाहती।
मैं- अरे जानेमन.. यहाँ कौन सी रोशनी है.. अभी बिजली भी 2-3 घंटे नहीं आने वाली.. तब तक तो अपना काम हो जाएगा।
ये कहते हुए मैंने उसका टॉप उतार दिया.. अन्दर तो उसने कुछ पहना ही नहीं था।
मुझे उसके आज़ाद चूचे मिल गए.. जिन्हें दबाने में बहुत मज़ा आने लगा।
वो पजामे के ऊपर से ही मेरा लण्ड पकड़ने लगी.. मैंने उसको सोफे पर लेटा दिया और पजामा उतार कर अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया।
वो मज़े से चूसने लगी.. मैं समझ गया कि ये साली राण्ड.. पक्की खेली-खाई है..
मैं- तुम पहली लड़की हो.. जो मेरा औजार चूस रही हो.. अभी तक मेरी पत्नी ने केवल इसका चूमा लिया है।
फिर मैंने उसको पूरा नंगा किया और खुद भी हो गया।
उसने कहा- बिस्तर पर चलते हैं।
हम धीरे-धीरे बिस्तर पर आ गए.. उसको लेटकर जी भरकर चूमा-चाटी की.. वो भी ‘उह.. आ..’ करने लगी।
फिर सही पोजीशन बना कर अपना लण्ड उसकी चूत में रखा और धक्का लगा दिया।
एक हल्की सी ‘आह..’ की आवाज़ के साथ पूरा लौड़ा उसकी चूत में अन्दर चला गया।
शमाँ- अरे राकेश.. आराम से.. एक साल बाद कोई मुझे चोद रहा है।
मैं रुक गया.. और हड़बड़ी में गड़बड़ी करना उचित नहीं समझा।
मैं उसे किस करने लगा.. फिर उसके हाथ अपने हाथ से मसलने लगा।
लेकिन कुदरत फिर एक बार मेहरबान हुई और लाइट आ गई। वो अचानक ‘नो.. नो..’ करने लगी और चादर पकड़ने के लिए हाथ छुड़ाने लगी।
मैं- रहने दो शमाँ.. अपने हुस्न का दीदार करने दो।
वो आँखें बन्द करके शांत लेटी रही।
दोस्तो, क्या नज़ारा था.. गोरा बदन.. भरे-भरे मम्मे.. मस्त निप्पल.. चिकनी कमर और उसकी चूत में फंसा मेरा लण्ड..
तभी मेरी नज़र उसके दोनों मम्मों के बीच में गई.. वहाँ एक प्यारा सा काला तिल था.. मेरे मुँह से ‘वाऊ’ निकल गया और मैंने वहाँ तुरंत एक किस किया।
उसने आँखें खोली और मुस्कुराने लगी।
मैं अब प्यार से धक्के मारने लगा और उससे लिपट कर किस करने लगा।
थोड़ी देर में उसने फिर से आँखें बंद कर लीं और मेरा साथ देने लगी..
हमारे अन्दर पूरा जोश भर चुका था.. स्पीड तूफ़ानी हो गई और दनादन ठापों की आवाज़ आने लगीं..
लगभग 5 मिनट बाद हमारे अन्दर का तूफान शांत हो गया और बाहर का भी.. मैं उसके अन्दर ही झड़ गया।
अब मैं उठा और उसकी ओर देखने लगा..
शमाँ- कोई बात नहीं.. मैं दवाई ले लूँगी..
मैंने उसे चुम्बन किया.. हीटर की गर्मी अब हमें लगने लगी थी.. हमने अपने-अपने कपड़े पहने।
शमाँ- तुमसे एक रिक्वेस्ट है.. तुम पहले हो जिसने मेरा ये तिल देखा है। इससे पहले मैं केवल अंधेरे में ही सेक्स करती थी.. सो प्लीज़ यह बात अपने तक ही रखना..
मैं- हाँ वो तो ठीक है.. पर मेरी एक शर्त है।
शमाँ- क्या?
मैं- तुमको हमेशा मेरे साथ उजाले में ही सेक्स करना होगा..
वो हँसते हुए बोली- शादी के बाद तुम कुछ ज़्यादा ही बिगड़ गए हो..
हम दोनों हँस दिए।
दोस्तो, यह कहानी थी.. मेरे बिगड़ने की.. फिर मैं कभी शमाँ से साथ सेक्स नहीं कर पाया.. क्योंकि मेरा ट्रान्स्फर वापी में हो गया.. लेकिन यहाँ भी मैं 2 महीने के लिए अकेला हूँ और मुझे फिर से चूत की प्यास है।

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